मकर संक्रांति: एक परिचय
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे संपूर्ण भारत में भक्ति, उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, तब यह पर्व मनाया जाता है। यह परिवर्तन सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का संदेश देता है।
पौराणिक महत्व
मकर संक्रांति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं:
- भगवान विष्णु और असुरों का अंत: इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का नाश कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्त किया था। इसलिए इसे बुराइयों और नकारात्मकता के अंत का दिन माना जाता है।
- भगवान सूर्य और शनि: यह माना जाता है कि सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर आते हैं। चूंकि शनि मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है।
- भीष्म पितामह की देह त्याग कथा: महाभारत में भीष्म पितामह ने उत्तरायण काल में ही अपनी देह का त्याग किया था। यह माना जाता है कि उत्तरायण में शरीर त्यागने वाली आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाती है।
अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति
यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है:
तमिलनाडु: इसे पोंगल कहा जाता है।
उत्तर प्रदेश और बिहार: इसे खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है।
गुजरात और राजस्थान: पतंगबाजी का मुख्य आकर्षण होता है।
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक: इसे केवल संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
- उत्तरायण का शुभ प्रभाव: हिंदू धर्म में उत्तरायण को देवताओं का दिन माना गया है। यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इस दिन जप, तप, दान, स्नान और तर्पण जैसे कार्य विशेष महत्व रखते हैं।
- सूर्य की किरणों का लाभ: सर्दी के मौसम में सूर्य की किरणें औषधि का काम करती हैं। पतंग उड़ाते समय शरीर सूर्य की किरणों के संपर्क में आता है, जिससे कई रोग स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें।
सूर्य देव को अर्घ्य दें और दान-पुण्य करें।
तिल और गुड़ का सेवन करें।
क्या न करें
- चाइनीज मांझे का उपयोग न करें।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति और धर्म का अद्भुत संगम है। यह पर्व हमें सकारात्मकता, सामाजिक एकता और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस मकर संक्रांति, सभी बुराइयों को छोड़कर अच्छे कार्यों की ओर अग्रसर होने का संकल्प लें।
